शिवालयों में उमड़ा भक्तों का भारी जन सैलाब, भौलै के जैकारों से गूंजा आसमान
राजू चारण
बाड़मेर ।। देशभर में आज भौले बाबा का सावन के महीने का दूसरा सोमवार होने के कारण सभी देवालयों में धूमधाम से मनाया गया, ओर बाड़मेर जिला मुख्यालय के आसपास के आधा दर्जन से ज्यादा शिवालयों ओर जिले के सभी शिव मंदिरों में जगह जगह पर भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है, आसमान में भौले के जैकारों से गूंजायमान हों रहा है।
भक्तजनों को शिव पूजन करने के लिए हमेशा से आज-कल अधिक अतिआतुर देखा गया है, महिलाओं और बच्चों ने तो भोले शंकर के वाहन नंदी के कानों में अपनी बात महादेव के नाम पर खुल्लेआम भेज रहे हैं, ओर कोराना भड़भड़ी के कारण बच्चों की परीक्षाओं के नहीं होने के बावजूद भी शानदार परिणाम आने के चलते चहकते महकते हुए हजारों चेहरे आज भोले बाबा के शिवालयों में दिखाई दिए।
जानकारों ने बताया कि सावन के महीने में देश विदेश सहित राज्य भर के शिव मंदिरों में भक्तों का भारी ताता लगा हुआ है, आज सुबह से ही भक्तों का सज धज कर शिवमंदिरों में पहुंचना शुरू हो गया था।
सावन का महीना हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों की तरह मनाया जाता है. भौले के भक्त साल भर इस महीने के सोमवारों की प्रतीक्षा करते हैं। सावन के सोमवारों को शिवलिंग पर पूजा अर्चना करने के लिए देश के कई हिस्सों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भगवान शिव के मंदिरों में नजर आ रही है। जगह जगह पर भौले बाबा के रंग में रंगे हुए भक्ति संगीत के साथ नाचते गाते हुए भक्तगणों का मन मयूर नाच रहा है।
मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, बेर और भांग चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे महादेव की विशेष कृपा मिलती है। महाशिवरात्रि के मौके पर जो पुण्य शिवालयों में जैसे काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है और फल प्राप्त करने की आराधनाएं करने के दौरान फल मिलता है वैसे ही फल आज़ के दिन वही आशीर्वाद कहीं पर भी देवाधिदेव महादेव मंदिर में शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने पर मिलता है।
भक्त वत्सल बाबूलाल शर्मा ने बताया कि मध्य प्रदेश में महाकाल मंदिर उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव को की अराधना करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है। महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन जैसे ही सावन के महीने में सोमवार को शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे. इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे।
वैसे तो भगवान शिव भक्ति में पवित्र जल से प्रसन्न होने वाले देव हैं। इसलिए शिव का जलाभिषषेक करने की परंपरा है, लेकिन विभिन्न रस पदार्थो से शिव का अभिषषेक करने से मनुष्य को धन, भूमि, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति भी होती है।