अधिकारियों के आपसी तालमेल के अभाव में हमारी व्यवस्थाएं हुईं ध्वस्त

अधिकारियों के आपसी तालमेल के अभाव में हमारी व्यवस्थाएं हुईं ध्वस्त
आवश्यकता है जिला उच्च स्तरीय समिति गठित करने की

राजू चारण

बाड़मेर ।। यह सही है कि कोरोना पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर सम्भव प्रयास कर रहे है । लेकिन जिला मुख्यालय पर लगभग सभी विभागों के महत्वपूर्ण पदों पर वर्षों से विराजमान अफसरों की आपसी तालमेल के अभाव में सारी व्यवस्थाएं ही चरमरा रही है । कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए आंकड़ों को देखते हुए और मौत के रोज नए रिकार्ड टूट रहे है । वेंटिलेटर, ऑक्सिजन और अन्य बुनियादी दवाओं के अभाव में दर्जनों लोग समय से पहले मृत्यु के शिकार हो रहे है । मौजूदा हालात को देखते हुए चिकित्सा और पुलिस विभाग के मुखिया तथा लगभग दो दर्जन ज़िला कलेक्टर महामारी के इस दौर में पूरी तरह असफल सिद्ध हो रहे है ।

राज्य सरकार को चाहिए कि अफसरों में आपसी तालमेल बैठाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए । समिति में राजनेता, सेवानिवृत अधिकारी, चिकित्सक, पत्रकार, समाजसेवी आदि को सम्मिलित किया जाए । अफसरों से तालमेल बैठाकर समिति की प्रतिदिन बैठक होंनी चाहिए ताकि स्थिति की सही और पारदर्शी तस्वीरें सामने आ सके ।

कोरोना को लेकर आजकल विपक्ष द्वारा आये दिन सरकार पर लापरवाही तथा अन्य कई प्रकार के हमले हो रहे है । समिति में जब विपक्ष के लोग होंगे तो राज्य सरकार इन हमलों से बच सकती है । गुलाब चंद कटारिया, घनश्याम तिवाड़ी अथवा ऐसे नेता की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जानी चाहिए जो मौजूदा हालात को देखते हुए पर्याप्त समय दे सके । निश्चय ही अधिकारी तन्मयता से कार्य कर रहे है । लेकिन तालमेल के अभाव में सारी व्यवस्थाएं गुड़गोबर हो रही है । लिहाजा सरकार को बिना देरी किए जिलों में समिति का गठन कर अन्य राज्यो के समक्ष एक बेहतरीन उदाहरण पेश करना चाहिए ।

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सरकार , हमारी भी सुनो ना कलयुगी भगवान है …..?

राजू चारण

बाड़मेर 4 मई , कोरोना पॉजिटिव मरीजों की दिनों दिन संख्या बढऩे के चलते अस्पतालों में मेडिकल स्टॉफ और उनके परिजनों के लिए आज-कल बेड की दिक्कत हो रही है।

राजधानी के जयपुरिया अस्पताल में पिछले सात दिन में 25 नर्सिंगकर्मी पॉजिटिव आ गए हैं। ऐसे में स्टॉफ को ही अस्पताल में बेड के लिए भटकना पड़ रहा है। इसके विरोध में सोमवार को कार्मिक लामबंद हो गए और जबरदस्त विरोध किया। अस्पताल के चिकित्सा कर्मियों ने अधीक्षक को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया।

ज्ञापन में मांग की है कि नर्सेज कर्मियों के परिवारजनों को अस्पताल में भर्ती करने की आपातकालीन व्यवस्था की जाए। इसके अलावा अस्पताल में कार्मिकों और उनके परिजनों के लिए अलग से 20 बेड की तत्काल व्यवस्था की जाए। ज्ञापन में मांग की गई कि कर्मचारियों के पॉजिटिव होने के बाद वार्ड में तैनात कार्मिकों का तुरंत मेडिकल बनाया जाए।

कोविड ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को अभी तक कोविड हार्ड ड्यूटी अलाउंस नहीं मिला है। इसकी व्यवस्था की जाए। कार्मिकों ने प्रशासन को तीन दिन में मांगों के समाधान करने का अल्टीमेटम दिया है।

इस तरह बाड़मेर अस्पताल में तैनात लेब टेक्नीशियन प्रेम सिंह निर्मोही को पिछले साल का कोवीड हार्ड ड्यूटी एलाउंस का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। जिला कलेक्टर से लेकर अस्पताल प्रशासन तक दर्जनों बार शिकायतों को करने के बाद भी आजतक अस्पताल प्रशासन द्वारा एलाउंस नहीं मिला है। ऐसे में भी दिन रात लगभग पन्द्रह सत्रह महिने से निर्मोही बाड़मेर जिले में लाखों लोगों के कोराना वायरस के नमूने इकट्ठे कर जोधपुर मेडिकल कॉलेज ओर बाड़मेर जिले में सबसे ज्यादा नमूना लेने का रिकॉर्ड प्रेम सिंह निर्मोही के नाम पर दर्ज है।

अस्पताल परिसर में कोराना वारियर्स प्रभू चौधरी ओर कालूराम माली ने बताया कि हमारे द्वारा कोवीड वार्ड में स्पेशल डयुटी करने के बाद घर परिवार में मौजूद लोगों में भी संक्रमण फैलने का हमेशा अंदेशा रहता है लेकिन क्या करें मजबूरी है, पिछले साल सरकार द्वारा अस्पताल परिसर में ड्यूटी के पश्चात अस्पताल के नजदीकी जगहों पर सुरक्षित रखा जाता था लेकिन इस बार कोई खास सुरक्षा और सुधार नहीं किया गया है। अस्पताल के वार्ड में घटित होने वाली घटनाओं से सम्बंधित क्षण प्रतिक्षण इस तरह का एक ही विचार दिमाग में घूमता रहता है।

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