बाड़मेर जिले में अवैध शराब विक्रेताओं पर हमारी नजर लेकिन रोकें कौन सरकार

बाड़मेर जिले में अवैध शराब विक्रेताओं पर हमारी नजर लेकिन रोकें कौन सरकार

राजू चारण

बाड़मेर ॥ बाड़मेर जिले में शराब माफियाओं और आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो जाते हैं ऐसा महसूस होता है कि बांड ही खेत को खानें में लगीं हुईं है। शराबी गली मोहल्ले गांव ग्वाड़ में जहां चाहे वहां पर आसानी से शराब खरीद सकते है। सम्पूर्ण राज्य में बाड़मेर जिले जेसा ढर्रा कहीं पर देखने को नहीं मिलता है। कुछ सालों पहले जहरीली शराब जैसलमेर जिले में ही बनी और बाड़मेर जिले के लोगों में आपूर्ति होने से डेढ़ दर्जन लोगों की जान गई, यह खुलासा पुलिस और आबकारी दोनों ने ही अपनी उपलब्धियों में कर लिया था, लेकिन इस खुलासे के साथ ही शराब माफियाओं के उस बड़े नेटवर्क पर पर्दा डाल दिया गया जो चार राज्यों की हमारी पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को मात देकर वैध के समानांतर ही अपना अवैध शराब का धंधा कर रहा है।

सालभर में लगभग हजारो लाखों करोड़ की वैध शराब के अलावा करीब करोड़ों की अवैध शराब भी खुल्लेआम बिक रही है और पकड़ी जाती है सालभर में महज पच्चास साठ करोड़ की। सरकारी मशीनरी से सांठ-गांठ के इस बड़े कारोबार में कई लोगों की जेबें गर्म होती है जब पंजाब, हरियाणा और राजस्थान होते हुए शराब प्रतिबंधित राज्य गुजरात तक पहुंच जाती है। सीमावर्ती बाड़मेर जिले में अवैध शराब के नेटवर्क को खंगालती यह खास रिपोर्ट आपके सामने है।

जोधपुर सम्भाग भर ओर सरहदी बाड़मेर-जैसलमेर जिले में हरियाणा से आने वाली अवैध शराब श्रीगंगानगर व चूरू अलवर,जिलों के रास्ते राज्य की सीमा में धड़ल्ले से प्रवेश करती है। राष्ट्रीय राजमार्गों से श्रीगंगानगर में प्रवेश करने के बाद शराब से भरे हुए ट्रक बीकानेर, नागौर, फलौदी, पोकरण होते हुए बाड़मेर जिले में पहुंच जाते हैं। राजगढ़ (चूरू) फोरलेन से आने वाली शराब चूरू से बीकानेर होते हुए अथवा सीधे नागौर के रास्ते बाड़मेर पहुंच जाती है। गुजरात जाने वाली शराब फलौदी-पचपदरा-रामजी का गोल मेगा हाईवे होते हुए सांचौर से आगे गुजरात राज्य में निकल जाती है।

स्थानीय पुलिस तंत्र और आबकारी विभाग द्वारा अवैधियों के खिलाफ छोटी-छोटी कार्रवाई कर अवैध प्रकरणों की संख्या बढ़ाने वाले पुलिस व आबकारी विभाग कभी-कभार भूलवश या फिर सूचना तंत्र द्वारा अवैध शराब से भरे हुए ट्रक बरामद कर वाहवाही जरूर लेते हैं। हरियाणा से आने वाले करीब डेढ़-दो दर्जन ट्रक प्रतिवर्ष पकड़े जाते हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस व आबकारी विभाग अभी तक हरियाणा के उस स्थान की शायद ही खोज नहीं कर पाए, जहां से अवैध शराब से भरे हुए सैकड़ों ट्रक निकलते हैं। हर बार शराब परिवहन करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ, ट्रक जब्त हुआ, परिवहनकर्ता का रिमाण्ड हुआ, न्यायालय में चालान हो गया और इसके बाद मामला खत्म।

अवैध शराब से जुड़े मामलों की जांच करने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा में जहां से शराब से भरा ट्रक निकलता है, उस स्थान तक नहीं पहुंच पाने की वजह यह है कि सड़क किनारे किसी ढाबे पर ट्रक चालक को बुलाया जाता है। उसे वहां पर बिठाकर रवाना कर दिया जाता है। इसके बाद अनजान लोग उस ट्रक को लेकर निकल जाते हैं। कुछ घण्टों के बाद वह अवैध शराब से भरा ट्रक उसी ढाबे पर खड़ा कर देते हैं। ट्रक चालक को वह अपनी शक्ल भी नहीं दिखाते और ना ही यह बताते हैं कि माल कहां से लाए और किसका है। इसके बाद चालक ट्रक लेकर निकल पड़ता है। ऐसे में पुलिस व आबकारी की जांच हर बार हरियाणा के सड़क किनारे के ढाबों पर ही जाकर दम तोड़ देती है।

राज्य में अवैध शराब का धंधा करने वालों को सजा तो होती ही नहीं है। स्पेशल एक्ट के तहत तीन वर्ष की सजा व राजस्व हानि के अनुरूप जुर्माने का प्रावधान है। इस एक्ट के तहत सजा तो हो जाती है, लेकिन परिवीक्षाकालीन अधिनियम की धारा-3 के तहत आरोपित को दस-दस हजार रुपए की जमानत व मुचलके पर इस शर्त के साथ रिहा कर दिया जाता है कि छह माह के भीतर यदि वह पुन: इसी प्रकृति का अपराध करेगा तो उस पर सजा लागू हो जाएगी। शराब का धंधा करने वाले इस शर्त की पालना करते हुए अवैध शराब का कारोबार जिंदगी भर करते रहते हैं।

वित्तीय वर्ष 2018-19 में 206 ओर 2019-2020 लगभग 263 बाड़मेर आबकारी विभाग को राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य दिया गया। आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपए की आय प्राप्त कर सरकार की झोली भर दी, लेकिन198 अंग्रेजी व देसी-विदेशी शराब की दुकानों का आवंटन हो गया है। हर वर्ष सरकार राजस्व प्राप्ति से बीस प्रतिशत अधिक लक्ष्य जिले के अधिकारियों को देती है। ऐसे में चालू वित्तीय वर्ष में बाड़मेर आबकारी को 315 करोड़ राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य पूरा करने का लक्ष्य दिया है। मसलन इस वर्ष 198 शराब दुकानों के जरिए 315 करोड़ रुपए या इससे अधिक वैध शराब का कारोबार होना तय है।

अवैध शराब को लेकर पूर्व में कई गांवों को चिह्नित किया गया था, जहां पर अवैध शराब का निर्माण होता था। अब आबकारी ने लॉटरी पद्धति के बाद इन्हें हटा लिया है। वास्तव में जिले की 689 ग्राम पंचायतों पर अवैध शराब (ठरड़े) का निर्माण गांव-गांव में युद्धस्तर पर जारी है।

गत वित्तीय वर्ष में अवैध शराब के 278 मामले आबकारी विभाग ने पकड़े है और उन्हें पकड़ने के लिए जिले में तीन आबकारी थाने हैं , लेकिन स्टाफ ना के बराबर है।यह बात तय है कि आबकारी विभाग द्वारा हमेशा-हमेशा पव्वौ को बेचने वाले अवैधियो को ही पकड़ा जाता है कारण बाड़मेर जिला मुख्यालय पर रेड करने निकलने से पहले ही सभी शराब विक्रेताओं को पता चल जाएगा कि कौनसा अधिकारी कौनसे रूट पर ओर कहा पर पहुंचे हैं।

चौहटन क्षैत्र में सरकारी दुकान एकमात्र होने के बावजूद भी चार पांच जगहों पर धड़ल्ले से शराब बिक्री किया जा रहा है लेकिन रोकने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की कमाई का जरिया ठप्प हो जाता है। आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बताया कि बाड़मेर से पचास किलोमीटर दूर चौहटन में पुलिस थाना ओर आला अधिकारियों का लवाजमा मौजूद हैं वहां का पुलिस प्रशासन आंखें मूंदकर क्यों बैठे हैं यह भी सोचना चाहिए।

जिला मुख्यालय पर मौजूद आबकारी निरीक्षक ने बताया कि मेरा क्षेत्राधिकार कितना बड़ा है और मेरे पास में कोई जाब्ता भी नहीं है, अवैध शराब माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए जवानों की हर बार मांग करता हूं ज़रूरी नहीं कि जाब्ता हर समय उपलब्ध होगा। ऐसा लगता है कि साहब कभी कभार छोटी बड़ी कामयाबी हासिल करके वाहवाही लूटने में जरूर लगे हुए हैं। सरकार को राजस्व बढ़ाने की ज्यादा फिक्र रहती है और ठेकेदारों पर दबाव बनाया जाता है कि अधिक से अधिक माल बेचों अन्यथा शास्ती अलग से

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