लापरवाह कौन, आला अधिकारियों को यह जानने की फुर्सत ही नहीं

लापरवाह कौन, आला अधिकारियों को यह जानने की फुर्सत ही नहीं

राजू चारण

बाड़मेर ॥ आजकल हमारे बाड़मेर जिले में युवा लापरवाही के कारण जान गंवा रहे है।युवा देश के कर्णधार है जो देश का भविष्य होता है।प्रतिवर्ष लाखों युवा सड़क हादसों में बेमौत मारे जा रहे है। कल परसों सांचोंर के पास में परिवार सहित ओर हजारों परिवारों के इकलौते चिराग अस्त हो रहे है। मां की कोखें उजड़ रही है।माताओं व बहनों का सिंदूर मिट रहा हेैं।बच्चे अनाथ हो रहे है।युवाओं को जागरुक करना होगा क्योकि युवा ही विकराल हो रही सड़क हादसों की समस्या को रोक सकते है। कोराना भड़भड़ी लॉकडाउन में सड़क हादसों पर लगाम लग गई थी।

बाड़मेर जिले से गुजरने वाली सभी मुख्य सड़कों पर पुलिस थानों के आगे से लहराते हुए ओवरटेक वाहनों को अमूमन देखा जा सकता है। कभी कभार वाहनों की जांच पड़ताल करने के नाम पर खानापूर्ति जरूर करते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश कोई छोटा-मोटा हादसा हुआ तो अधिकारियों का कोप भांजने के लिए पुलिसकर्मियों को लाईन हाजिर इससे ज्यादा कोई समाधान नहीं हुआ है आजतक। सभी गांवों और कस्बों से निकलने वाली मुख्य सड़कों पर खुल्लेआम गांवों से आने वाले वाहनों द्वारा सड़कों को अपनी राजनीतिक शख्शियत के कारण सकड़ी कर जाम कर रहे हैं जो तेज रफ्तार गाड़ियों होने से कभी भी किसी बड़े हादसे को खुल्लेआम निमंत्रण दें रहे हैं।

वर्ष 2021 के पहली तिमाही से ही लोग सड़क हादसों में मारे जा रहें है। राज्य में हर रोज इतने भीषण हादसे हो रहे है कि पूरे के पूरे परिवार मौत की नीद सो रहे हैं। लापरवाही, ओवरटेक,नशा सेंवन करने वाले, मौसमी हालात जैसे घने कोहरे के कारण हजारों सड़क हादसे आजकल हो रहे है। प्रतिदिन लोग मारे जा रहे है। यातायात के नियमों का पालन नहीं करने पर ही इन हादसों में निरंतर वृद्धि हो रही है। सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह के नाम पर लाखों रुपया बहाया जाता है मगर फिर भी जिलों में सुधार नहीं होता।जब तक लोग यातायात के नियमों का उल्लंघन करते रहेंगे तब तक इन हादसों में लोग बेमौत मरतें रहेंगें।

देशभर में 22 मार्च 2020 को जब लॉकडाउन लगा था तब हादसे एकबार पूरी तरह रुक गए थे। लॉकडाउन के खुलते ही सड़क हादसों में अप्रत्याशित वृद्वि हो गई।कोरोना महामारी में हादसे कम हो गए थे।लॉकडाउन में जगली जानवर सड़कों पर विचरण करते थे।परिवहन पूरी तरह बंद था।प्रदूषण भी शून्य हो गया था। पिछले साल 2020 के अप्रैल व मई माह में यातायात के साधन बंद हो गए थे। जून माह में ज्यों ही लॉकडाउन खुल गया तो फिर से करोडों वाहन सड़कों पर दौड़ पड़े। जून 2020 से ही सड़क हादसों की रफ्तार बढ़ गई है। प्रतिवर्ष डेढ़ लाख लोग सड़क हादसों में मारे जाते है। क्योकि प्रशासन द्वारा लोगों को इन सात दिनों में यातायात नियमों के बारे में बताया जाता है फिर पूरा वर्ष लोग अपनी मनमानी करते है और यातयात नियमों का उल्लंघन करते है ओैेर मौत के मुंह में समाते जा रहे है। लापरवाही से सड़कें रक्तरंजित हो रही हैं। चिराग बुझ रहें हैं। बच्चे अनाथ हो रहे हैं। दो साल पहले भी सड़क हादसों का सिलसिला पूरी साल अनवरत चलता रहा था और लाखो लोग हादसों का शिकार होते रहे थे।

प्रतिदिन हो रही दुर्घटनाओं में हजारों लोग अपंग हो गए जो ताउम्र हादसों का दंश झेलते रहेगें। देश में हर चार मिनट में एक व्यक्ति सड़क हादसे में मारा जाता है। प्रतिदिन देश की सडकें रक्तरजित हो रही है नौजवानों से लेकर बुजुर्ग काल का ग्रास बन रहे हैं। आंकडें बताते है कि सड़क दुर्घटनाओं में भारत अन्य देशों से शीर्ष पर हैं। शराब पीकर वाहन चलाना तथा चलते वाहनों में मोबाइल का प्रयोग ही हादसों का मुख्य कारण माना जा रहा है। इसके कारण ही लाखो लोग सड़क हादसों में मौत का शिकार हुए।

राज्य में शुरूआती तिमाही 2021 में भी सडक हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं तथा प्रतिदिन दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इसे सरकारों की लापरवाहीे की संज्ञा देना गलत नहीं होगा। प्रतिवर्ष सड़क सुरक्षा हेतू करोड़ों रुपया बहाया जाता है मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात ही निकलता है अगर सही तरीके से जनता का पैसा खर्चा किया जाए तो इन हादसो पर जरूर विराम लग सकता है मगर ऐसा नहीं हो रहा है। हर वर्ष लाखों लोग मारे जा रहे है। ज्यादातर सड़क हादसे सर्दियों ओर गर्मियों के मौसम में होते है। लापरवाही के कारण हजारों सड़क हादसे हो रहे हैं। सड़क हादसे अभिशाप बनते जा रहे हैं।

सर्दियों में धुंध के कारण आपसी टक्कर में दुर्घटनाएं होती हैं। देश के प्रत्येक राज्यों में हादसों की दर दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। दुर्घटना के बाद मुआवजे की राशि बांटने में व समाचार पत्रों में सुखिर्यों में रहने में प्रशासन व नेता लोग आगे रहते हैं नेताओं द्वारा घडिय़ाली आंसू बहाए जातें हैं। सड़क हादसों को रोकने के लिए एक नीति बनानी होगी। जागरुकता अभियान चलाने होंगे। देश की सड़कों पर लाशों के चिथड़े बिखर रहे हैं। देशभर में ओर पंजाब, दिल्ली व उत्तप्रदेश व हिमाचल प्रदेश में धुंध के कारण दर्जनों हादसों में सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं, मगर राज्यों की मौजूदा सरकारों को इससे कोई सरोकार नहीं है।

सरकारों को लोगों को यातयात नियमों से संबधित शिविरों का आयोजन करना चाहिए।आज करोडों के हिसाब से वाहन पंजीकृत है मगर सही ढंग से वाहन चलाने वालो की संख्या कम है क्योंकि आधे से ज्यादा लोगों को यातायात के नियमों का ज्ञान तक नहीं होता। पुलिस प्रशासन केवल चालान काटकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं, मगर चालान इसका कोई हल नहीं है। इसका स्थायी समाधान ढूंढना होगा। बिना हैलमैट के नाबालिग से लेकर अधेड़ उम्र के लोग वाहनो को हवा में चलाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं।

जानबूझकर व नशे की हालत में दुर्घटना करने वाले चालकों के लाईसैस आजीवन रदद करने चाहिए। ज्यादातर हादसे में नाबालिग चालक ही मारे जाते हैं। पुलिस प्रशासन की लापरवाही भी इसमें साफ झलकती है। आजकल ज्यादातर युवा व लोग शराब पीकर व अन्य प्रकार का नशा करकेेे वाहन चलाते है नतीजन खुद ही मौत को दावत देते हैं भले ही पुलिस यन्त्रों के माध्यम से शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कस रही है मगर फिर भी लोग नियमों का उल्लघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

राज्यों की सरकारों द्वारा पुलिस को दी गई हाईवे पैट्रोलिंग की गाडिय़ां भी यातायात को कम करने में नाकाम साबित हो रही हैं। क्यों की इन गाड़ियों में अधिकारियों की जगह निचले स्तर के कर्मचारियों को तकनीकी ज्ञान नहीं होता है ‌।बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के अनेक कारण है। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत हादसे मानवीय लापरवाही के कारण होते हैं।लापरवाह लोग सीट बैल्ट तक नहीं लगाते और तेज रफतार में वाहन चलाते हैं।

देश में सड़क हादसों में स्कूली बच्चों के मारे जाने के हादसे भी समय-समय पर होते रहते हैं मगर कुछ दिन जिला प्रशासन द्वारा वाहनों को जांच-पड़ताल पर रखा जाता है फिर वही हमेशा हमेशा वाली परिपाटी चलती रहती है, जबकि होना तो यह चाहिए कि इन लापरवाह चालकों को सजा देनी चाहिए ताकि मासूम बेमौत न मारे जा सके। अक्सर देखा गया है कि वाहन चालकों के पास प्राथमिक चिकित्सा के बक्से में म्याद बार दवाईयां ओर कहीं कहीं पर बाक्स तक नहीं होतें ताकि आपातकालीन स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवाई जा सके । प्रत्येक साल नवरात्रों में श्रद्धालु मंदिरों में ट्रकों में जाते हैं और गाडिय़ां दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तथा बेमौत मारे जाते हैं।

केन्द्र सरकार को इस पर गौर करना होगा तथा देश में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक के लिए कारगर कदम उठाने होगें नही तो देश के प्रत्येक महानगरों व शहरों से लेकर गांवों तक हर रोज लाशें बिछती रहेगी, लोग मरते रहेंगें। दुर्घटनाओं का कहर बरपता रहेगा। यदि हमारी सरकारे ऐसे ही सोती रहेगी तो देश की सड़कें खून से लाल होती रहेगी। मानव जीवन को बचाना होगा क्योकि मानव जीवन दुर्लभ है।बेलगाम हो रहे यातायात पर लगाम लगाना राज्य सरकार व जिला प्रशासन का पहला कर्तव्य है। लोगों को भी इसमें सहयोग करना होगा तभी इस समस्या का स्थायी हल हो सकता है। यदि लोग सही तरीके से यातायात नियमों का पालन करते है तो सड़कों पर हो रहे मौत के तांडव को रोका जा सकता है तभी हमारे गांव ग्वाड़ पंचायत तहसीलों ओर जिले में सड़क सुरक्षा सप्ताह की सार्थकता होगी।

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