संस्कृत गरबा प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह
जगमालसिंह राजपूरोहित
मोदरान ।। देवसायुज्यम संस्कृत प्रतिष्ठानम द्वारा संस्कृत गरबा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें 31 प्रतिभागियों ने भाग लिया था, उनके लिए पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया था, सभी का स्वागत करते हुए डॉ. प्रफुल्ल पुरोहित ने बताया कि संस्कृत भाषा सर्वांगीण कार्यो का प्रमुख माध्यम रहा है। जीवन का कोई ऐसा कार्य क्षेत्र नहीं है जिनमे संस्कृत भाषा का स्पर्श ना हों, संस्कृत भाषा कि सरसता सरलता और विविधता का सामान्य जनता को बोध होता है, संस्कृत भाषा कठिन नहीं है किन्तु सरल एवं लोक भोग्य है ऐसी भावना रखकर संस्कृत गरबो कि रचना कि गई है, गरबा गायन वर्तमान मे विश्व मे प्रसिद्ध है, वह इससे कैसे संस्कृत दूर रह सकता है, गरबा गान हमारी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।
संस्कृत गरबा प्रतियोगिता मे 48 लोगो ने भाग लिया जिसमें गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं केनेडा से, प्रथम क्रमांक ऐशनया मिश्रा (वाराणसी) द्वितीय तान्या, तृतीय आशिका, इत्यादि, सर्व श्रेष्ठ कृति ब्राइट डे शाला को प्राप्त हुआ, संस्कृत गरबा की भाषा सरल एवं सुमधुर होने से संस्कृत गरबा लोक भोग्य हो रहे है, संस्कृत गरबा देश विदेश मे प्रचलित हो रहा है, माँ शक्ति का आराधना का नवरात्रि पर्व हो और संस्कृत गरबा की प्रस्तुति ना हो ऐसा हो नहीं सकता। देवसायुज्य संस्कृत प्रतिष्ठानम द्वारा प्रतिवर्ष संस्कृत गरबा का आयोजन होता है, दो साल से कोरोना की वजह से ऑनलाइन आयोजन किया गया है । समारोह मे उपस्थित अतिथिगण नयनभाई जोशी (भागवत कथाकार) डॉ. दामोदर चैतन्यदास (प्रचारक श्रीमद्भगवद्गीता) प्रो नीलांबर देवता, प्रतापराव भोईटे ने प्रतिभागियो को अभिनंदन देकर पुरस्कार वितरण किया उक्त जानकारी डॉ.प्रफुल्ल पुरोहित ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दिया।