बाड़मेर सहित हवाई हमला चेतावनी सिस्टम से लैस होगा राज्य
राजू चारण
बाड़मेर ।। केन्द्र सरकार ने राज्य को बड़ी राहत दी है। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर शेष बारह जिलों को भी नागरिक सुरक्षा जिले घोषित कर दिया है। अब राज्य के सभी जिले हवाई हमला चेतावनी सिस्टम से लैस होंगे। यह सिस्टम विकसित करने का पूरा खर्च केन्द्र सरकार वहन करेगी। अब तक इक्कीस जिले नागरिक सुरक्षा जिले की श्रेणी में थे। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार राजस्थान पहला राज्य है, जहां सभी जिले नागरिक सुरक्षा वाले जिले घोषित कर दिए गए हैं। इसके लिए केन्द्र सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।
अब ये बारह जिले शामिल शामिल किया गया है जिसमें चूरू, झुंझुनूं, राजसमंद, झालावाड़, टोंक, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, दौसा, डूंगरपुर, करौली, धौलपुर और बारां शामिल किए गए हैं।
बाड़मेर जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट परिसर में नागरिक सुरक्षा विभाग कार्यालय में समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के दौरान सायरन सहित अन्य सुरक्षा सम्बन्धी जानकारी कार्यकताओं को देते रहते हैं । कोराना भड़भड़ी के दौरान ग्यारह बजे तक शहरी क्षेत्र की जनता और दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए आज-कल सायरन बजाकर सचेत किया जाता है। पिछले दो-तीन दशकों से पुलिस लाइन,कलेक्ट्रेट, रेल्वे स्टेशन, पुलिस कोतवाली के सामने, पहले पहाड़ी पर स्थित जगदम्बा मंदिर और वर्तमान में चौहटन रोड पर पहाड़ी पर स्थित पुलिस तंत्र सहित अन्य स्थानों पर इस तरह के सायरन बजाकर आमजन को सचेत किया जाता है।
किसी भी जिले में हवाई हमला चेतावनी सिस्टम विकसित करने पर भारी राशि खर्च होती है। यह खर्च केन्द्र सरकार वहन करेगी। नागरिक सुरक्षा पर प्रतिवर्ष खर्च होने वाले बजट का 25 प्रतिशत खर्च भी केन्द्र सरकार देगी। इससे राज्य में आपदा प्रबंधन सिस्टम मजबूत होगा। बाढ़, महामारी, कानून-व्यवस्था व अन्य आपदाओं के प्रबंधन में यह सिस्टम सहायक होगा।
यों चली कवायद-
– 21 जिलों को नागरिक सुरक्षा जिले घोषित किया केन्द्र सरकार ने 2010 में
– 2017 में राज्य सरकार ने सभी जिलों को नागरिक सुरक्षा जिले घोषित किया
– 2019 में शेष 12 जिलों को भी शामिल करने के लिए केन्द्र को प्रस्ताव भेजा
– 17 मई को शेष जिलों के लिए भी सरकार द्वारा अधिसूचना जारी
यह होता है सिस्टम-
यह रेडियो आधारित सिस्टम है, जो समान्य चेतावनी सायरन से बिल्कुल अलग होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि किसी भी आपदा के समय सूचनाएं किसी क्षेत्र में तेजी से पहुंचाई जा सकती हैं। खतरे की सूचना सायरन से लगातार मिलती है। एक जगह यह सिस्टम विकसित करने पर 10-15 लाख रुपए खर्च होते हैं। अभी राज्य के सभी जिलों में पुराना चेतावनी सिस्टम है। नया लगने के बाद किसी भी आपदा में लोगों को सटीक और तत्काल पता चल सकेगा कि सुरक्षित जगह कौनसी है, वहां कैसे पहुंच सकते हैं और सहायता वाहन कहां मिलेगा। ऐसे में अफरा-तफरी से भी बचा जा सकेगा।