बाड़मेर फल सब्जी मंडी रामभरोसे, बारिश की बदहाली पर आंसू निकालते व्यापारी
राजू चारण
Barmer ।। बाड़मेर कृषि मंडी स्थित थोक-फल सब्जी मण्डी का नजारा इन दिनों बड़ा रोचक है। पहली ही धमाकेदार बारिश में यहां-वहां कीचड़ पसर चुका है। पूरे फल सब्जी मण्डी परिसर में सड़क का नामो-निशान जैसे नहीं है और जंगह जगह पर पानी फ़ैला हुआ है। यहां पर सुबह सुबह शहरी क्षेत्र और आस-पास के गांवों-कस्बों से हर रोज आने वाले सैकड़ों छोटे सब्जी विक्रेता कीचड़ से होकर गुजरते हैं। तीन चार साल पहले तक हर माह लाखों रुपए की टैक्स वसूली कर रहे मण्डी प्रशासन ने पिछले कई सालों से यहां-वहां शायद सड़क तक नहीं बनवाई है।
सब्जी व्यापारी बताते हैं की थोक फल-सब्जी करीब आठ साल पहले बनकर तैयार हुई। तब यहां घटिया डामर सड़क बनाई गई, जो कुछ ही महीनों में टूटकर बिखर गई। अब फर्श पर केवल गिट्टी और मिट्टी पसरी हुई है। कई जगह पर डामर का नामो-निशान तक नहीं है। बारिश के मौसम में यहां पर जगह जगह पर गड्ढों में पानी भरता है और कीचड़ पसर जाता है। नजदीकी हाईवे का पुल उंचाई पर बनने के कारण सब्जी मंडी डूबग्रस्त जगह पर आ गई है।फल सब्जी मंडी परिसर में मौजूदा गार्डों से भी यहां वहां अव्यवस्थित वाहनों ओर ठैलो के चलते आमजन को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
गांवों से सैकड़ों सब्जी विक्रेता और शहरी क्षेत्र से सुबह सुबह हजारों खरीदार प्रतिदिन मण्डी परिसर में आते हैं। इनमें बड़ी तादाद में महिला विक्रेताओं और खरीददारों की भी होती हैं। लघुशंका के लिए जगह नहीं होने के कारण उन्हें परेशान होना पड़ता है। मण्डी परिसर में महिलाएं सुनसान जगहों पर जाने से डरती हैं, वहीं पुरुष खाली जगहों पर ढूंढकर लघुशंका करते हुए देखा जा सकता हैं। यहां पर शौचालय भी नहीं हैं।
फल सब्जी मण्डी में चौतरफा गंदगी पसरी रहती है। कारोबारी सड़े-गले फल-सब्जियां एकत्र करवाकर हाथ ठैलो के पीछे ही परिसर में खुले डलवा देते हैं, जिससे सड़ांध मारती-रहती है। कभी कभार गाय बैल और अन्य पशुओं की धमा-चौकड़ी मची हुई भी देखा गया है।
व्यापारी कहते हैं कि न तो मण्डी प्रशासन, न नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सफाई को लेकर कोई स्थायी बंदोबस्त करते हैं। सफाई का ठेका दे रखा है या फिर सफाई कर्मचारी हमारे को मालूम नहीं है, लेकिन सरकारी कागजों में पैसा उठ जाता होगा और सफाई नहीं होती है आप भी देखें आपके सामने है नजारा।
सबसे दिलचस्प यह कि बारिश के पानी की निकासी के लिए यहां नालियां ही नहीं बनाई गई हैं। मण्डी प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च कर प्लेटफॉर्म, दुकानें और अन्य ढांचागत निर्माण करवाया, लेकिन ड्रेनेज सिस्टम पर पैसा खर्च करना शायद भूल गया होगा।