ग्रामीण संस्कृति का अमूल्य त्योहार है होली :राजू चारण

ग्रामीण संस्कृति का अमूल्य त्योहार है होली :राजू चारण

बाड़मेर ।। रंगों का त्योहार होली भारतीय और राजस्थान की ग्रामीण संस्क्रति का रंगारंग उत्साहवर्धक त्यौहार होता है। चैत्र के नववर्ष की शुरुआत में नए वर्ष का रंगारंग उत्साह के साथ स्वागत होता है ,चंग की मनमोहक थाप ओर गैरियो की सुरीली आवाज चंग की अनूठी धुन सभी का मन मोह लेती है।लेकिन कोरोना भड़भड़ी के चलते इस अनूठे त्यौहार को मनाने का रंग तो फीका कर दिया। हमारी मजबूरी है कोरोना से ख़ुद ओर अपने परिवारजनों को बचना है परिवारजनों को संक्रमित होने से भी बचाना हमारी-आपकी पहली प्राथमिकता होगी। वरिष्ठ पत्रकार राजू चारण ने आज़ होली के अवसर पर स्नेह मिलन कार्यक्रम के दौरान कही।

मोजूदा हालात को देखते हुए सीमित संख्या में ही होली का त्योहार मनाया जाएगा।कोरोना भड़भड़ी को लेकर सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की गाइड लाइन के तहत ही उत्सव मनाना चाहिए। गाँवो में होली का उत्सव आजकल सिर्फ और सिर्फ यादगार बन कर रह गया है लेकिन मोजूदा समय और कोरोना भड़भड़ी ने जीवन का उत्साह सब कुछ बदल कर रख दिया ।

इस अवसर पर सोनिया जांगिड़ ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें अपने परिवारजनों को इस समय बेहद मुश्किल घड़ी में सार सम्भाल करनी होगी। सरकारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी ओर जानबूझकर लापरवाही बरतने पर खामियाजा हमारे ही भुगतना होगा। कार्यक्रम के दौरान इश्वर जांगिड़ , सुनिल कुमार जीनगर , मुकेश कुमार,मिलन जांगिड़ ओर अन्य लोग उपस्थित रहे।

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