एक मुट्ठी अनाज बाजरे ने विश्व पटल पर सुर्खियां बटोरी : नारायण बारेठ

एक मुट्ठी अनाज बाजरे ने विश्व पटल पर सुर्खियां बटोरी : नारायण बारेठ

राजू चारण

बाड़मेर ।। उसे लगा राजस्थान महज एक मुट्ठी बाजरे ज्यादा कुछ नहीं है। शेरशाह सूरी ने जब राजस्थान पर कब्जे के लिए जंग छेड़ी , राजा मालदेव के रण बाँकुरे योद्धाओ ने उसकी फौज को नाकों चने चबवा दिए। 1544 की बात है। मरुस्थल में दोनों सेनाओ के बीच जम कर मैदान ए जंग हुई। सूरी मैदान छोड़ ही रहा था कि मालदेव के दो प्रमुख सेनानी राव जैता और कुम्पा शहीद हो गए। सूरी जीत गया। लेकिन जाते जाते बोला ‘ खेर करो ,वर्ना एक मुट्ठी बाजरे के लिए मैं दिल्ली की बादशाहत खो देता !

आज हमारे यहां पर राजस्थान दिवस है। यह सूरी की ना समझी थी। राजस्थान एक मुट्ठी बाजरा नहीं है। इस विकट मरुस्थल ने संसार को न केवल बहादुर योद्धा दिए है बल्कि उद्योग व्यापार को नामवर हस्तिया भी दी है। बियाबान सहरा ने सदियों तक फनकार और गुलकारो की परवरिश की है और संगीत को अपने सीने से सहेजे रखा है। इसकी वास्तु कला को देख कर लोग सम्मोहित हो जाते है। चटक रंगो से आभा मंडित धरती का यह टुकड़ा ऐसे लगता है गोया कुदरत ने खुद कूंची चलाई हो।

दुनिया 1944 में विश्व बैंक की अवधारणा से रूबरू हुई। पर राजस्थान के मानिकचंद बंगाल व्यापार करने जाकर कोई तीन सो साल पहले ‘जगत सेठ’ कहलाये। कहते है उनकी कोठी ऐसे लगती थी जैसे इंग्लॅण्ड का इम्पीरियल बैंक। जगत सेठ के लिए क्या राजा ओर क्या नवाब ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी लेंन देंन किया था।यह बताता है एक मुट्ठी बाजरे में कितनी ताकत होती है। आसाम में ज्योति प्रसाद अग्रवाल का दर्जा वैसा ही है जैसा बंगाल में रविन्द्र नाथ टैगोर का है। वे कभी राजस्थान से आसाम जाकर बसे थे। आसाम में सिनेमा ,नाटक और साहित्य में उनसे बड़ा कोई नाम नहीं है। राज्य सरकार हर साल उनकी याद में शिल्पी दिवस मनाती है। सरकारी छुट्टी होती है। पूरे दिन भिन्न-भिन्न आयोजन होते है।

रोबर्ट ब्लैकविल तीन साल भारत रहे। वे भारत में अमेरिका के राजदूत होकर आये थे। भारत उनको इतना भा गया कि एक मौके पर भारत मेरी मां कह गए। ब्लैकविल भारत की सहिषुणता ,उदारता ,विविधता और बहुलवादी समाज के कायल होकर लौटे। लेकिन इन सब के बीच राजस्थान ने उन्हें बहुत प्रभावित किया।

वे पश्चिम इलाके में पाकिस्तानी सरहद पर बसे जैसलमेर को देख कर अभिभूत हो गए। कहने लगे जयपुर ,उदयपुर ,जोधपुर सब अच्छे है। पर मेरा सबसे पसंदीदा स्थान तो जैसलमेर है। उन्होंने फाइनेंसियल टाइम्स में अपने ये भाव व्यक्त किये।

” मुझे लगता है कुछ राते तो ऐसी होती है जब दुनिया के सारे सितारे सिर्फ जैसलमेर के आसमां में ही नमूदार होकर उसे जगमग रखते है। हैरान हूँ अब तक किसी यूरोपीय मुल्क ने सितारे चुराने के लिए जैसलमेर पर मुकदमा क्यों नहीं किया – ब्लैकविल

राजस्थान में कहावत है जहाँ पानी गहरा होता है ,लोग उतने ही गहरे होते है। कुछ अपवाद भी होंगे।लेकिन अब पानी सतह पर भी है। दुआ करते है यह गहराई अक्षुण रहेगी। राजस्थान दिवस की सभी को शुभ कामनाएं।

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