रेतीले धोरों में मिला काला सोना लेकिन, जनता का ज़ोरदार निकल रहे हैं तेल

रेतीले धोरों में मिला काला सोना लेकिन, जनता का ज़ोरदार निकल रहे हैं तेल

राजू चारण

बाडमेर ।। सरकार हमारे यहां से देश में सबसे ज्यादा रायल्टी बाड़मेर जिले से ही मिलता है लेकिन यहां पर काम करने वाली नामी बेनामी कम्पनियां ओर सरकार जरूर हुई मालामाल लेकिन ना यहां जिले में कोई विकास हुआ और ना ही नसीब हुआ स्थानिय निवासियों को यहां पर रोजगार तक नहीं मिल रहा है।

मौजूदा दौर में दुबई बनने की अंधी दौड़ में शामिल राजस्थान का बाड़मेर जिला रेतीले धोरों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। दो तीन दशकों पहले हुई तेल खोज और करीब दो ढाई दशक पहले कुछ कंपनियों ने बाड़मेर सहित आसपास के कुछ अन्य जिलों में काला सोना की खोज की तो यहां के रेतीले धोरों के पीछे छिपे हुए कच्चे तेल एवं गैस का अथाह भंडार मिला। इसके बाद केंद्र सरकार ने अलग अलग बेसिन बना कर राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को तेल एवं प्राकृतिक गैस के दोहन की जिम्मेदारियां सौंप दी‌। अब तक करोड़ों बैरल तेल इस रेतीले धोरों का सीना चीर कर निकाल चुका है वहीं दस पन्द्रह साल में क्रूड से लाखों करोड़ की सरकार को आय भी हुई है। काला सोना निकलने वाली यहां की स्थानीय ग्राम पंचायत छितर का पार ग्राम पंचायत के हिस्से महज 1 प्रतिशत राजस्व भी नहीं आया। लोगों ने बताया कि जिस ग्राम पंचायत में क्रूड ऑयल निकले उस गांव की तस्वीर क्यों नहीं बदलती? छितर का पार को 1 प्रतिशत मिलता तो करीब हजारों करोड़ रूपए होते।

करीब दो दशक से राजस्थान के करीब दो दर्जन ब्लौकों में तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज एवं दोहन का काम बड़े पैमाने पर चल रहा है‌। देशभर में चर्चित ओर जानी मानी कंपनीयों की ओर से बाड़मेर के 10 ब्लौकों में पैट्रोलियम की खोज के लिए 700 से अधिक कुओं की खुदाई की गई।
इन में मंगला, मंगला ईओआर, सरस्वती, रागेश्वरी, रागेश्वरी दक्षिण, रागदीप, भाग्यम, एनआई, एनई एवं ऐश्वर्या ब्लॉक शामिल हैं। यहां पर लगी हुई कम्पनियों ने जो कुएं खोदे, उन में से 380 कुओं में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस के दोहन का काम चल रहा है. बाकी 58 कुएं ड्राई हो कर फेल हो गए, जबकि 270 कुओं में खोज का काम चल रहा है‌।
अगस्त, 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बाड़मेर में निजी कम्पनी के एक आयलफील्ड का उद्घाटन किया था। वर्तमान में इसी MPT में 1.75 बैरल करोड़ तेल का उत्पादन यहां हो रहा है । जिसका 2022 तक 3 लाख बैरल का लक्ष्य है, उसके बाद भी यहां के स्थानीय लोगो के सपने अधूरे है ।
औधोगिक कम्पनियों के पास देश का सब से बड़ा खजाना बाड़मेर के मंगला ब्लौक में है. आज यही देश के सबसे बड़े जमीनी तेल उत्पादन (मंगला) के दस साल पूरे हो रहे है, लेकिन कम्पनियों में स्थानीय लोगों को यह उम्मीद नहीं थी कि यहां आने वाली कम्पनियां स्थानीय लोगों की आशाओं पर पानी फेर देगी, बाड़मेर जिले में कार्यरत नामी औधोगिक कम्पनियों ने यहां के स्थानीय लोगो की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। यहां के बेरोजगार रोजगार की उम्मीदें लगाए बैठे थे लेकिन कम्पनियों की हठधर्मिता के कारण जिले के कुशल व अकुशल युवा रोजगार से आजतक वंचित है !

जिले के ऑयल फील्ड में काम कर रही कंपनियों के सीएसआर फण्ड में करोड़ों रुपया स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा व्यय होता है , इस फण्ड से बाड़मेर की जनता को कोई लाभ नही मिला न स्थानीय गाँव छितर का पार, कवास, बांदरा के लोगो को, सिर्फ यहां के जनप्रतिनिधियों को जरूर बेवकूफ बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस इलाके के दौरा जरूर करेंगे, बेरोजगारों का दर्द समझने के लिए जरा इस गम्भीर विषय पर कुछ तो गौर कीजिएगा !

बाङमेर भरता है देश का राजस्व खजाना बाड़मेर जिले से प्रतिदिन पन्द्रह बीस करोड़ रुपए का राजस्व प्रदेश और लगभग पैंतीस से चालीस करोड़ से अधिक का राजस्व देश को दे रहा है ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार द्वारा आखिर बाङमेर जिले के बेरोजगारों को क्या मिला ….??

रिफाइनरी का कार्यालय जोधपुर में, पेट्रो स्टोरेज रिजर्ववायर बीकानेर में, पेट्रो केमिकल यूनिवर्सिटी जोधपुर में और पेट्रोकेमिकल हब अभी भी सपना है। 2004 में जब दुनिया का सबसे बड़ा जमीनी तेल भण्डार ‘मंगला बाड़मेर में खोजा गया और 2009 से 2013 तक बाड़मेर केन्द्र सरकार को प्रतिदिन चालीस और राज्य को पन्द्रह करोड़ का राजस्व देने लगा तब इस इलाके के दुबई बनने की बात हर एक व्यक्ति की जुबान पर थी। बाड़मेर के दुबई बनने के सपने में केवल तेल शामिल नहीं था। यहां पर रिफाइनरी, रिफाइनरी से जुड़े बायो प्रोडेक्ट्स के कारखाने, स्कील डवलपमेंट का बड़ा हब, एज्युकेशन हब, पेट्रो केमिकल हब, क्रूड ऑयल रिजर्ववायर, तेक कंपनियों से जुड़े लोगों की अत्याधुनिक कॉलोनियों, दुबई जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस होटलें, चकाचौंध चमचमाती हुई सड़कें, पेयजल, परिवहन के आधुनिक हाईटेक प्रणाली से लैस शानदार साधन, देशभर ओर विदेश के लिए हवाई सेवाओं की सुगमता, लम्बी दूरी की रेल सेवाएं, स्थानीय लोगों का स्किल डवलपमेंट, नेटवर्क कनेक्टिविटी सहित कई सुविधाएं 2004 से 2022 तक बाड़मेर आती तो यह दुबई बनता….बाड़मेर दुबई बनने के सपने में केवल तेल शामिल नहीं था। लेकिन इन सबमें अभी भी पिछड़ापन हावी है।

वहीं पिछले बजट भाषणों में स्ट्रेटेजिक क्रूड स्टोरेज फेसेलिटी( क्रूड स्टोरेज रिजर्ववायर) बीकानेर में बनाने की घोषणा की गई थी बीकानेर में तेल उत्पादन है न खोज हुई है। बाड़मेर के तेल को बीकानेर ले जाकर रिजर्व में रखने का सरकारी फरमान समझ से परे रहा। देश में अभी दो ही रिजर्ववायर है। ऐेसे में यह बड़ी उपलब्धि भी बाड़मेर से खिसक गई। पेट्रो केमिकल यूनिवॢसटीपेट्रो केमिकल यूनिवर्सिटी को लेकर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 16 जनवरी के कार्यक्रम में घोषणा तो की लेकिन…. अभी सिर्फ सपने ही दिखाई दे रहे है हमारे बाड़मेर जिले की धरातल पर

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