खोजी पत्रकारिता करनी हैं तो पहले जान लें ये बातें : राजू चारण
बाड़मेर ।। देश की आख़री सरहदी क्षेत्रों में बसे बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में पत्रकारिता के क्षेत्र जो काम सबसे चुनौतीपूर्ण और रोमांच वाला होता है, वो है इन्वेस्टगेटिव यानी खोजी पत्रकारिता । जर्नलिज्म फील्ड के कमोबेश सभी पत्रकारों के लिये वैसे तो इन्वेस्टिगेटिव स्वभाव अच्छा रहता है, और हर खबर के लिये कुछ ना कुछ खोजने के लिए भाग-दौड़ तो करनी ही पड़ती है । लेकिन आजकल संस्थानों द्वारा जिनको पूरी तरह से इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग करने की जिम्मेदारी मिलती है। उनके रास्ते को थोड़ा आसान बनाने के लिये हम कुछ बिंदुओं को बता रहे हैं, जो दुनियाभर के कई पत्रकारों के अनुभवों पर आधारित हैं।
एक खोजी पत्रकार के लिये सबसे पहले अच्छा स्वयं का जनसंपर्क, नवीन तकनीकी युग के आधुनिक साधनों की अच्छी जानकारी, असीम धैर्य और निडरता अहम गुण हैं। इनके बिना किसी खबर की तह तक पहुंचना ग्रामीण इलाकों में बहुत ही मुश्किल है।
खोजी पत्रकारिता में सबसे पहला काम होता है सही तथ्यों को जुटाना चाहिए। प्रारंभिक जानकारी में बहुत से तथ्य ज्यादातर आधे-अधूरे होते हैं, जो लोगों की कही-सुनी बातों पर आधारित हो सकते हैं। इनको प्रूव करना सबसे बड़ी चुनौती होता है। लिहाजा आपको संबंधित विषय पर जितना हो सके स्वयं निष्कर्ष निकालना चाहिए।
रिपोर्ट से जुड़ी हर तरह की बातें, लीक दस्तावेज, फोटो या ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड आपके लिये बहुत काम के हो सकते हैं। लिहाजा सब कुछ समाचारों की खबरों के लिए हमेशा समेटते रहें।
रिसर्च के दौरान आपको कई स्थानों पर भटकना पड़ सकता है, कई तरह के लोगों से मिलना पड़ेगा, कभी कभार लोगों के सामने अपमानित भी होना पड़ सकता है, लेकिन आपका मूल मकसद खबर प्रकाशित करने के लिए सही तथ्य होने चाहिए ।
ख़बर के विषयो से जुड़े लोग बहुत से मामलों में कुछ बताना नहीं चाहेंगे। ऐसे में निराश होने की बजाय समझदारी से काम लेने की जरूरत होती है । जानकारी देने वाले व्यक्ति को भरोसे में लेने की कोशिश करनी चाहिये । उसको विश्वास दिलाना आवश्यक है, कि रिपोर्ट उसकी इच्छा के मुताबिक ही समाचार पत्रों में चलायी जाएगी ।
कुछ परिस्थितियों में जानकारी देने वाले की भावनाएं ठीक नहीं हो सकती है । लिहाजा ख़बर को हर स्तर पर फिर से अपने विवेकाधिकार से परखने की अधिक जरूरत रहती है । गलत रिपोर्टिंग के आधार पर ख़बरें पेश करने की स्थिति में आप मुश्किल में फंस सकते हैं। क्योंकि राजदार ख़बरों का असर लोगों में ज्यादा होता है।
रिपोर्टिंग की जानकारी आपके अलावा विश्वसनीय लोगों को ही होनी चाहिए। रिपोर्ट लीक होने की स्थिति में सामने वाला पक्ष वक्त से पहले सक्रिय होकर खबरों को दबाने के हर तरह के ओछेपन हथकंडे अपना सकता है । और हो सकता है सच सामने नहीं आ पाये ओर आपके द्वारा किया गया सारा मेहनत बेकार।
आपका दायित्व है कि इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग कानून के दायरे से बाहर नहीं होना चाहिए । यानी तथ्य जुटाने के दौरान जो तरीके आप अख्तियार करने जा रहे हैं, वो हमेशा हमारे विधी सम्मत कानून सम्मत हों ।
रिपोर्ट में कभी दावे नहीं चलते हैं बल्कि खबरों से जुड़े हुए पक्के सबूत मायने रखते हैं। रिपोर्टिंग इस तरह से होनी चाहिये, जैसे आप कोई मुकदमा लड़ रहे हों। जहां केवल सबूत ही काम करते हैं। बातें और मनघड़ंत वादे नहीं ।
खबर संकलन के दौरान विरोधी पार्टी द्वारा आप पर जानबूझकर अटैक भी हो सकता है । लिहाजा सबसे ज्यादा सचेत रहने की आवश्यक्ता है । अगर कुछ झड़प या धमकी देने जैसी बात सामने आती है, तो अपनी संस्थान के संपादक या विधि सलाहकार से सलाह लेकर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही रिपोर्ट में इस तरह की घटना का जिक्र कर उसे और प्रभावशाली बना सकता है।
खोजी पत्रकारिता में अमूमन ज्यादा खर्च और ज्यादा समय लगता है । फिर अखबारों में खबर प्रकाशित होने की भी कोई गारंटी नहीं होती। अगर खबर प्रकाशित हुई, तो ये एक पत्रकार के लिये सबसे बड़ा सुकून देने वाला होता है। एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट आपको हीरो बना सकती है, तो आपकी जान पर भी बन सकती है। लिहाजा मौजूदा हालात बेहद गंभीर है और रास्ता आपको ही चुनना है।