कंटीलें कैरों की झाडिय़ों पर फुलों की बाहर

कंटीलें कैरों की झाडिय़ों पर फुलों की बाहर

दीपेन्द्र सिंह राठौड़

पादूकलां । कस्बे सहित आस पास के ग्रामीण आँचल में इन दिनों केरो की कटीली झाड़ियों पर हल्के रंग के फूल खिलते दिखाई दे रहे हैं जो राहगीरों व पशुपालकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है जानकारी के अनुसार केयर की कटीली झाड़ियों पर साल में दो बार फूल आते हैं हर बार की तरह वसंत ऋतु के आवागमन फागुन माह में गैरों पर फूलों के बाद के लगते हैं जिसमें पशुपालक ग्रामीण महिलाएं व पुरुष सहित बच्चे तोड़कर बाजार में बेचकर अच्छी-खासी आमदनी करते हैं भारत के साथ ही विदेशों में भी केर की अच्छी खासी मांग रही है कि की बाजार में कीमत करीबन 60 से 100 रुपए प्रति किलो है जबकि सुखी केर 1500 रुपये प्रति किलो में मिलते हैं। इन दिनों क्षेत्र मैं आई केयर की बहार के चलते बाजारों में भी अच्छी आवक हो रही है। जिससे लोगों को रोजगार में मुनाफा हो रहा है। वही केरो में कोई प्रकार का रसायन नहीं होने के कारण आज भी स्वाद पहले जैसा ही बरकरार है। पौष्टिकता से सरोबार कैर को पौष्टिकता से सरोबार माना जाता है । विशेषज्ञों के अनुसार केयर का नियमित सेवन करने से रोग मुक्त रहा जा सकता है। यह मधुमेह के अलावा गैस कब्ज व बदहजमी जैसी पेट के विकारों में भी फायदेमंद है ।

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